स्वास्थ्य को व्यापार न बनाए
आज से 30या35 साल पहले हम अपने जीवन के कालखण्ड को देखते हैं कि हमने अपना जीवन गाँव मे विपरीत
परिस्थितियों एवम गरीबी मे रहकर जीवन मे सघर्ष करते हुए आज डॉक्टर बने जिससे विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने की क्षमता उत्पन्न हो गई हैं।आज बी एच एम एस होम्योपैथी मे स्नातक डिग्री हासिल करने मे दस लाख रु0 खर्च होते है। एम बी बी एस करने में लगभग 50 से 70 लाख रुपये लगते है बह डॉक्टर क्या करेगा मानवीयता का उसके लिए कोई मायने नहीं रखते है।हम तोआज डॉक्टर बन ही न पाते।
गाँव में उस समय लोकल से वोकल अपनें खेत की सब्जियों घरकी चक्की मे पिसा आटा घर
दाल ऊड़द ,चने घी दूध गुड़ आदि सब घर मे ही मिलते थे कोई भी बिमार नही होते थे यदि कभीकुछ होता था घरेलू चीजों से ही ठीक हो जाते थे उस समय किसी को शुगर, वी पी या गम्भीर बिमारिया नही ह होती भी थी जो खेतों में काम नहीं किया करते थे अधिक तर सब 90 या100 साल तक जीते थे आज ज्यो ज्यो एलोपैथी की दवाओं स्वास्थ्य सुविधाओं क बड़ाते जा रहे है उतनीही बिमारिया बड़ती जा रही है हर तीसरे व्यक्ति को शुगर, हार्ट अटैक किडनी फेक कैंसर थाइराइड हार्ट डिजीज लीवर की बिमारिया बड़ती जारही हैं दो लाख रुपये से दस दस लाख रुपये कुच्छ मे एक दिन के45000या पचास लाख रुपये खर्च करने पर भी आदमी नहीं बचता जबकि हमारे देश मे स्वास्थ्य सुविधाओं करोड़ों लाखो अरबों रुपए स्वास्थ्य के नाम पर खर्च हो रहे है।यह हमारे लिए बिचारणिय प्रश्न है
मेरा मानना हैकि हमे होम्योपैथिक औषधिया सस्ती एवम कारगर या घरेलू नुस्खे का उपयोग एक दिन करना पड़ेगा जैसे आज हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी हमारे समय30 35 सल पहले की तरह लोकल से वोकल घरेलू स्तर पर सामान बनाया जाये लकल व अन्य देशों में भी सपलाई करो
मेरा मानना है कि स्वास्थ्य के क्षेत्रों मे भी एकदिन वापस आना होगा
अभी से होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करे सस्ती और कारगर है।
डॉक्टर राजेन्द्र सिंह