होम्योपैथी को अपनाएं, सस्ती और जीवन बचाती है : डॉ. राजेंद्र सिंह

                                

आज से 30 या 35 साल पहले हम अपने जीवन को देखते हैं कि हमने अपना जीवन गाँव मे विपरीत परिस्थितियों मे रहकर जीवन मे सघर्ष करते हुए बिताया और डॉक्टर बने, जिससे विपरीत परिस्थितियों में कार्य करने की क्षमता उत्पन्न हो गई हैं। आज बी एच एम एस होम्योपैथी मे स्नातक डिग्री हासिल करने मे दस लाख रु0 खर्च होते है। एम बी बी एस करने में लगभग 50 से 70 लाख रुपये लगते है वह डॉक्टर क्या करेगा मानवीयता के उसके लिए कोई मायने नहीं रखते है। हम तो डॉक्टर बन ही न पाते।

गाँव में उस समय लोकल से वोकल अपनें खेत की सब्जियों घरकी चक्की मे पिसा आटा दाल, ऊड़द, चने, घी, दूध, गुड़ आदि सब घर मे ही मिलते थे कोई भी बिमार नही होते थे यदि कभी कुछ होता था घरेलू चीजों से ही ठीक हो जाते थे। उस समय किसी को शुगर या गम्भीर बिमारिया होती भी थी जो खेतों में काम नहीं किया करते थे अधिक तर सब 90 या 100 साल तक जीते थे आज ज्यो ज्यो एलोपैथी की दवाओं स्वास्थ्य सुविधाओं क बड़ाते जा रहे है उतनी ही बिमारिया बड़ती जा रही है। हर तीसरे व्यक्ति को शुगर, हार्ट अटैक किडनी फेल, कैंसर थाइराइड, हार्ट डिजीज, लीवर की बिमारिया बड़ती जा रही हैं दो लाख रुपये से दस दस लाख रुपये एक दिन के 45000 या पचास लाख रुपये खर्च करने पर भी आदमी नहीं बचता, जबकि हमारे देश मे स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे है। 

मेरा मानना है कि हमे होम्योपैथिक औषधिया सस्ती एवम कारगर या घरेलू नुस्खे का उपयोग एक दिन करना पड़ेगा। होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करे सस्ती और कारगर है।

डॉक्टर राजेन्द्र सिंह